स्त्री विमर्श पर लिख दिए
जाने कितने लेख
सेमिनारों में बोला
करते थे घंटों
परम्पराओं की धज्जियाँ उड़ाती
आवाज
गूंजती रहती थी कानों में देर तलक
और एक दिन
उनके व्यस्त कार्यकर्मों से दूर
उनके घर की ही औरत मर गयी बीमारी से
रसोई में उनके लिए रोटियां पकाते
- अभिषेक ठाकुर
No comments:
Post a Comment