Monday 28 November 2011

अस्पताल के बिस्तर से
धूप पूरी नहीं दिखा करती
दिन का होना
तो बस मरीजों की भीड़ से पता चलता है
सफ़ेद दीवारों से टकरा कर रंग
बिखर बिखर से जाते हैं
बिस्तर पर तुम्हे सोचता हूँ
और दवाइयों से आधी खुली आँखों
तुमको खिड़की के पार खोजा करती हैं
तुमने सफ़ेद कपडे पहने होंगे शायद
इसलिए धूप भी अब सतरंगी नहीं लगती
- अभिषेक ठाकुर

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