तुमको पाने और
खो देने की संभावनाओं के बीच
तुम और मैं
खो गए हैं कहीं
रोज गढ़ लिया करते हैं
कुछ नए स्वप्न
यकीन दिलाया करते हैं
खुद को
आगत भविष्य का
जहाँ स्याह रंग की जरुरत न हो
वक़्त की थपकियाँ
सुलाती नहीं
जगा देती हैं अब तो
सूरज बात नहीं करता
बस झांक लिया करता है
रोशनदान के सीखचों से
तुम्हें पाने और
खुद को खो देने की संभावनाओ के बीच
कैक्टस फिर से कहीं बड़ा न हो जाये
- अभिषेक ठाकुर
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