स्ट्रीट लैम्प के कोनों से
टपक रही हैं बारिश की बूँदें
पीली रौशनी से भीग कर
कुछ बूँदें पीली हो गयी हैं
मेरे चेहरे की तरह
बगल के होर्डिंग पर
टंग गया है किसी कार का विज्ञापन
घर के पिछवाड़े में लगे पेड़ को
मरोड़ रही है अमरबेल
पेड़ की पत्तियां नाच रहीं हैं
अब भी
बारिश में भीगे कपड़ों को
निचोड़ रहा हूँ जिन्दगी की तरह
दूर पार्क में कुछ बच्चे
खेल रहे हैं फ़ुटबाल
हाथ बढ़ाकर महसूस
कर रहा हूँ बारिश को
पर समझ नहीं पाता
एक बूँद जाने कितने अर्थ
समेटे हुए है
- अभिषेक ठाकुर
No comments:
Post a Comment