कुछ खोज रहा था मैं
कुछ सपने
जिन्हें मैंने बचपन में देखा करता था
कुछ अपने
जिनके साथ जीने का वादा था
कुछ अनगढ़े से तराने
जिन्हें मैं अकेले में गुनगुनाया करता था
आज मैंने पढ़ ली है कुछ किताबें
और सीख ली है दुनियादारी
और सिर्फ मेरा होना भीड़ का हिस्सा हो गया
और अब
और अब तो
सपने तो सिर्फ बच्चे ही देखते हैं
और अपने पुरानी कहानियों का हिस्सा हो चुके हैं
- अभिषेक ठाकुर
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