प्रेम व्याप्त है
हम दोनों के अनबोलेपन के बीच
समझ नहीं पाया हूँ इसे
अपरिचित भाषा के संगीत की तरह
गूंजा करता है
दोहरा लिया करता हूँ जिसे
बिना समझने की कोशिश किए
पर तुम्हारे न होने पर
घर की दीवारें अजनबी हो जाया करती हैं
और घिर जाती है रात जल्दी ही
- अभिषेक ठाकु
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