बिन मुड़े ही जिस शख्स ने तोड़े रिश्ते
मैं अब भी उसके लौट आने के इंतजार में हूँ
इस शहर की भीड़ में खो चुका खुद को
मकां के घर में बदल जाने के इंतजार में हूँ
अभी से उसके बारे में बोल दूं कैसे?
... उसके नकाबों के उतर जाने के इंतजार में हूँ
जिस समन्दर ने मेरी कश्ती को डूबो रखा है
उसी समन्दर के उफ़न जाने के इंतजार में हूँ
मैं उनके इश्क में जाने कब का मिट भी चुका
जो कहते हैं तेरे गुजर जाने के इंतजार में हूँ
जिन दरख्तों के साथ बचपन का नाता हो
कैसे कह दूं कि उनके ढह जाने के इंतजार में हूँ
अब के बच्चों ने सवाल करना छोड़ दिया
किसी मासूम से सवाल के इंतजार में हूँ
- अभिषेक ठाकुर
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