Monday 13 February 2012

साथी
लो फेंक दिए हैं मैंने अपने पंख
जो दूर ले जाया करते थे मुझे
तुमसे
गुनगुनी धूप पीछे छोड़ आया हूँ
ताकि तुम्हारी पीड़ा पिघल न जाये
उड़ने और सतरंगे सपनो की चाभी
खो दी है मैंने
साथी
अलग नहीं होगा
रंग हम दोनों के रक्त का
उजाले छोड़ दिए हैं मैंने
और कर ली है दोस्ती
तुम्हारी जिंदगी के अंधेरों से
- अभिषेक ठाकुर

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