तुझ से जुदा होकर भी तेरे शहर के ख्वाब
मेरे ख्वाबों में जिन्दा हैं तेरे शहर के ख्वाब
ये रातों का जहर कैसे खोज पता तुझको
मेरी मुट्ठी में छिप गये हैं तेरे शहर के ख्वाब
अँधेरा अब भी मेरे आँगन से डरा करता है
शाम होते ही उतर आते हैं तेरे शहर के ख्वाब
तेरी आरजू अब नही किया करता 'अतम'
तेरे ना होने से हैं तेरे शहर के ख्वाब
- अभिषेक ठाकुर
मेरे ख्वाबों में जिन्दा हैं तेरे शहर के ख्वाब
ये रातों का जहर कैसे खोज पता तुझको
मेरी मुट्ठी में छिप गये हैं तेरे शहर के ख्वाब
अँधेरा अब भी मेरे आँगन से डरा करता है
शाम होते ही उतर आते हैं तेरे शहर के ख्वाब
तेरी आरजू अब नही किया करता 'अतम'
तेरे ना होने से हैं तेरे शहर के ख्वाब
- अभिषेक ठाकुर