Thursday 1 March 2012

मैंने अधिकार दे दिया है
शब्दों को रूठ जाने का
और बना लिया है अपना घर
नदी की बहाव से दूर
टहलती नींद
कर देती है इनकार
मेरी आँखों से गुजर कर जाने से
और खो जाती है
नदी किनारे उगे झुरमुटों में
- अभिषेक ठाकुर

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