मैं मर के पूछता हूँ अपने मौत की वजहें
बुजुर्ग कहते हैं तेरा सवाल अच्छा था
समझ का फेर है आंसू और हँसती आँखें
जमाना लाख कहे अदाकर अच्छा था
उम्र भर साथ चलने का भरम पाला तू ने
घडी दो घडी को ये ख्याल अच्छा था
रौशनी देने की चाह अँधेरा न बना दे तुझको
उनसे मिले बिना तो अपना भी हाल अच्छा था
- अभिषेक ठाकुर
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