जाने कब दे दिया था किसी ने
अलग अलग नाम हम दोनों को
तुम्हारी तरह मेरे उद्गम की बात नहीं करता कोई
तुमने गलत समझ लिया होगा
तुम मिलती नही मुझ में
पर तुम्हारे जरिए
मैं भी देख लेता हूँ
अपने खारेपन के परे के जीवन को
तुम माध्यम बन जाती हो
और ले आती हो सन्देश मेरे उन हिस्सों का
जो छूट गए हैं मुझसे
और किया करते हैं बातें आसमानों से
शहरों से निकलता कचरा ले आती हो तुम
हर बरसात के वक़्त मटमैले पानी के साथ
बहा ले जाती हो अपने किनारों पर
पड़ी गंदगी को
पर मैं
अभिशप्त हूँ
कहीं गया नहीं है वो कचरा
जो पिछले युग छोड़ गयी थी तुम
सूरज की किरणें भी
नहीं जला पातीं उसे
रोज होते
नए अणुबमों के परीक्षणों ने
घायल कर डाला है मुझे
पर तूम तक कुछ भी
नहीं पहुँचने दिया है मैंने
बादलों को बस दे दिया करता हूँ
अपनी शुद्धता
जो बरस कर मैदानों में
भर दिया करते हैं तुम्हें
जो पहाड़ों में जम कर
बन जाता है गंगोत्री
देखो न हम दोनों का मिलन
जन्म दे देता है अनूठे जीवन को
साझा है ना हम दोनों का दुःख
जब मेरी ही तरह तुम्हें भी
बाँट दिया जाता है बड़े बांधों में
एक सा ही है ना
जब मेरी तरह तुम्हारी भी जिंदगी
तौली जाती है
कुछ सिक्कों के आधार पर
जिन्हें हमने साथ में बड़े होते देखा है
उन्हें मार दिया जाता है बस खेल की खातिर
नासमझ हैं ना वो लोग
जो बाँट दिया करते हैं हमें
और बातें करते हैं
हम दोनों के अलग अलग
जीवन की
- अभिषेक ठाकुर
अलग अलग नाम हम दोनों को
तुम्हारी तरह मेरे उद्गम की बात नहीं करता कोई
तुमने गलत समझ लिया होगा
तुम मिलती नही मुझ में
पर तुम्हारे जरिए
मैं भी देख लेता हूँ
अपने खारेपन के परे के जीवन को
तुम माध्यम बन जाती हो
और ले आती हो सन्देश मेरे उन हिस्सों का
जो छूट गए हैं मुझसे
और किया करते हैं बातें आसमानों से
शहरों से निकलता कचरा ले आती हो तुम
हर बरसात के वक़्त मटमैले पानी के साथ
बहा ले जाती हो अपने किनारों पर
पड़ी गंदगी को
पर मैं
अभिशप्त हूँ
कहीं गया नहीं है वो कचरा
जो पिछले युग छोड़ गयी थी तुम
सूरज की किरणें भी
नहीं जला पातीं उसे
रोज होते
नए अणुबमों के परीक्षणों ने
घायल कर डाला है मुझे
पर तूम तक कुछ भी
नहीं पहुँचने दिया है मैंने
बादलों को बस दे दिया करता हूँ
अपनी शुद्धता
जो बरस कर मैदानों में
भर दिया करते हैं तुम्हें
जो पहाड़ों में जम कर
बन जाता है गंगोत्री
देखो न हम दोनों का मिलन
जन्म दे देता है अनूठे जीवन को
साझा है ना हम दोनों का दुःख
जब मेरी ही तरह तुम्हें भी
बाँट दिया जाता है बड़े बांधों में
एक सा ही है ना
जब मेरी तरह तुम्हारी भी जिंदगी
तौली जाती है
कुछ सिक्कों के आधार पर
जिन्हें हमने साथ में बड़े होते देखा है
उन्हें मार दिया जाता है बस खेल की खातिर
नासमझ हैं ना वो लोग
जो बाँट दिया करते हैं हमें
और बातें करते हैं
हम दोनों के अलग अलग
जीवन की
- अभिषेक ठाकुर
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