सडकें कहीं पहुंचती नहीं
बस जोड़ देती हैं
बिकती मूंगफलियों
को धूल और रात में जलते
चूल्हे के साथ
उस पार नगर निगम का नल
रोज बच जाता है
खुद की उगाई फिसलन से
और उगल देता है
दूध अलसुबह ही
बस जोड़ देती हैं
बिकती मूंगफलियों
को धूल और रात में जलते
चूल्हे के साथ
उस पार नगर निगम का नल
रोज बच जाता है
खुद की उगाई फिसलन से
और उगल देता है
दूध अलसुबह ही
जब सड़क सोने की कोशिश करती है
एक दूधिया जोड़ रहा होता है
प्लास्टिक में छुपी डायरी में
बगल वाले गुप्ता जी का हिसाब
बीच का गड्ढा नया आया लगता है
ऑटो चलता गुड्डू
याद करता है बाकि बची सवारियों को
किनारे खड़े खम्भे से एक तार
उतर आया था नीचे
पिछली बारिश में
फोटू भी तो खींचे थे ना
पहचान लिया था जीवन जर्नल स्टोर
वाले ने
सड़क को अख़बार में
सड़क समेट नही पाती
अब
खुद पर से गुजरते लोगों को
किनारे का फुटपाथ टूटता है
मूंगफलियाँ खुश हैं
रामदीन सोचता है
गाँव का बिस्तर खाली
ही रह जाता होगा
- अभिषेक ठाकुर
एक दूधिया जोड़ रहा होता है
प्लास्टिक में छुपी डायरी में
बगल वाले गुप्ता जी का हिसाब
बीच का गड्ढा नया आया लगता है
ऑटो चलता गुड्डू
याद करता है बाकि बची सवारियों को
किनारे खड़े खम्भे से एक तार
उतर आया था नीचे
पिछली बारिश में
फोटू भी तो खींचे थे ना
पहचान लिया था जीवन जर्नल स्टोर
वाले ने
सड़क को अख़बार में
सड़क समेट नही पाती
अब
खुद पर से गुजरते लोगों को
किनारे का फुटपाथ टूटता है
मूंगफलियाँ खुश हैं
रामदीन सोचता है
गाँव का बिस्तर खाली
ही रह जाता होगा
- अभिषेक ठाकुर
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