दो कहानियाँ
सुनहरे कवर में लिपटी डायरी ने
जज्ब किए कुछ शब्द
सुबह से होती बारिश के साथ
उसका हँसना
और पत्तियों से टपकती
बूँदें
और उसने लिखा
आज शाम उदास थी
सुनहरे कवर में लिपटी डायरी ने
जज्ब किए कुछ शब्द
सुबह से होती बारिश के साथ
उसका हँसना
और पत्तियों से टपकती
बूँदें
और उसने लिखा
आज शाम उदास थी
सामने की सड़क पर अब तक
कोई सोने नहीं आया
और फुटपाथ पर बनती
रोटियां अभी कच्ची हैं
- अभिषेक ठाकुर
कोई सोने नहीं आया
और फुटपाथ पर बनती
रोटियां अभी कच्ची हैं
- अभिषेक ठाकुर
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