संभावनाओं की यात्रा
Friday 7 October 2011
इबादतों की वजहें अलग अलग
अब प्रश्न ये है कि कौन हैं इतने सारे लोग को खुद को धार्मिक या धर्म से जोड़ रह हैं. जवाब बहुत आसान सा है.| हम वो लोग हैं जिनमें से कुछ को पैसे चाहिए, कुछ को सफलता, कुछ को शादी करवानी है , कुछ को घर बनवाना है , कुछ को अच्छे मार्क्स चाहिए , कुछ को बेटा या बेटी चाहिए या कुछ और नहीं तो पडोसी की बर्बादी ही चाहिए. या कुछ ने पैसे ज्यादा कम लिए हैं तो दान करने चला जायेगा ताकि स्वर्ग की सीट भी पक्की रहे , या पाप किये है तो उनकी माफ़ी मांग लेते हैं और नहीं कुछ बचा तो दुनिया को दिखाने के लिए ही चले जाते हैं | ये करते हैं हम मंदिर जा कर, या चर्च जा कर , या नमाज पढ़ कर | क्या धर्म इतना तुच्छ है , धर्म को साधन भी था और साधना भी पर हम लोग कुछ ज्यादा समझदार हैं ना तभी तो भगवान को रिश्वत देने को तैयार रहते हैं, जितना बड़ा काम उतनी बड़ी रिश्वत | और धर्म या मजहब के नाम पर होने वाले पाप तो बचे ही हैं , खैर सवाल बहुत हैं . पर अगली बार खुद से पूछ जरुर लीजियेगा कहीं मैं भी तो उन्ही मैं शामिल नहीं हूँ |
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